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भारतीय करदाताओं के लिए आयकर गणना की चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका - ETF और शेयरों के लिए

Intraday Trading और ETF Trading

Intraday Trading

Intraday trading में हम एक ही दिन में स्टॉक्स खरीदते और बेचते हैं, जिससे छोटे दामों में लाभ बढ़ता है।

Intraday ETF Trading

Intraday ETF trading में हम दिन भर में विभिन्न फंड्स का व्यापार करते हैं, जिससे छोटे मूल्य परिवर्तनों का लाभ उठाते हैं।

फायदे और नुकसान

फायदे

  • जल्दी लाभ का अवसर
  • कोई रात का जोखिम नहीं
  • लाभ का मौका
  • लचीलापन

नुकसान

  • उच्च जोखिम
  • भावनात्मक तनाव
  • अनुभव की आवश्यकता
  • लेन-देन के लागत

भारत में ETFs पर टैक्सेशन

टैक्स प्रभाव

होल्डिंग पीरियड टैक्स दर
1 वर्ष तक इक्विटी ETFs 20% स्टॉक कैपिटल गेन के लिए धारा 111A (STCG)
1 वर्ष से अधिक इक्विटी ETFs 12.5% बिना इंडेक्सेशन लाभ के, ₹1 लाख से अधिक लाभ पर 23 जुलाई 2024 से प्रभावी (LTCG)
3 वर्ष तक डेब्ट/ गोल्ड ETFs स्लाब दर के अनुसार (STCG)
3 वर्ष से अधिक डेब्ट/ गोल्ड ETFs 20% इंडेक्सेशन के साथ (LTCG)
डिविडेंड सभी ETFs आय स्लाब के अनुसार टैक्स (TDS 10%)

बजट 2024 के बाद टैक्स परिवर्तनों का अवलोकन

विभिन्न संपत्ति प्रकारों पर शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) पर टैक्स नियम अपडेट किए गए हैं, जो होल्डिंग पीरियड और टैक्स दरों को प्रभावित करते हैं।

मुख्य परिवर्तनों का सारांश

इक्विटी म्यूचुअल फंड्स और डोमेस्टिक इक्विटी ETFs

  • बजट 2024 से पहले: STCG 12 महीनों तक 15% पर टैक्स था।
  • बजट 2024 के बाद: STCG 12 महीनों तक 20% पर टैक्स होगा।

डेब्ट म्यूचुअल फंड्स

  • 1 अप्रैल 2023 से पहले खरीदे गए:
    • होल्डिंग पीरियड: 36 महीनों तक स्लाब दर पर टैक्स।
  • बजट 2024 के बाद: 24 महीनों तक अभी भी स्लाब दर पर टैक्स।
  • 1 अप्रैल 2023 के बाद खरीदे गए: हमेशा शॉर्ट-टर्म माने जाते हैं और स्लाब दर पर टैक्स।

अंतरराष्ट्रीय इक्विटी ETFs

  • भारत में सूचीबद्ध:
    • 1 अप्रैल 2023 से पहले: 36 महीनों तक स्लाब दर पर टैक्स।
    • बजट 2024 के बाद: 12 महीनों तक स्लाब दर पर टैक्स।
  • भारत से बाहर सूचीबद्ध:
    • 1 अप्रैल 2023 से पहले: 36 महीनों तक स्लाब दर पर टैक्स।
    • बजट 2024 के बाद: 24 महीनों तक स्लाब दर पर टैक्स।

गोल्ड म्यूचुअल फंड्स और ETFs

  • 1 अप्रैल 2023 से पहले: 36 महीनों तक स्लाब दर पर टैक्स।
  • बजट 2024 के बाद: गोल्ड म्यूचुअल फंड्स हमेशा शॉर्ट-टर्म हैं; गोल्ड ETFs 12 महीनों तक स्लाब दर पर टैक्स।

फंड ऑफ फंड्स

  • इक्विटी-ओरिएंटेड: STCG 15% पर टैक्स बजट 2024 से पहले और बाद में 12 महीनों तक।
  • अन्य फंड्स जिनमें 65% से कम डेब्ट है, 36 महीनों तक से लेकर हमेशा शॉर्ट-टर्म हो जाएंगे 1 अप्रैल 2023 के बाद, स्लाब दर पर टैक्स।

डायनामिक/मल्टी-एसेट अलोकेशन फंड्स

  • आक्रामक हाइब्रिड फंड्स के लिए टैक्स 12 महीनों तक 15% पर समान रहता है।
  • संरक्षण हाइब्रिड फंड्स जो 1 अप्रैल 2023 से पहले खरीदे गए थे, बजट 2024 के बाद हमेशा शॉर्ट-टर्म बन जाएंगे।

मुख्य निष्कर्ष

  • टैक्स दर में वृद्धि: कुछ इक्विटी और इक्विटी-संबंधित निवेशों के लिए STCG टैक्स दर 15% से 20% हो गई है बजट 2024 के बाद।
  • शॉर्ट-टर्म वर्गीकरण: कई फंड्स जो 1 अप्रैल 2023 के बाद खरीदे गए हैं, हमेशा शॉर्ट-टर्म के रूप में वर्गीकृत होते हैं, चाहे होल्डिंग पीरियड कितना भी हो।
  • होल्डिंग पीरियड पर ध्यान: टैक्स लाभ के लिए होल्डिंग पीरियड को छोटा किया गया है, जो निवेशकों के पोर्टफोलियो प्रबंधन पर प्रभाव डालता है।

यह स्थिति है

ये परिवर्तन भारत में निवेश रणनीतियों और टैक्स योजना को काफी प्रभावित कर सकते हैं। इन नियमों को समझना रिटर्न को अधिकतम करने और टैक्स नियमों के साथ अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। अगर जरूरत हो, तो व्यक्तिगत सलाह के लिए टैक्स सलाहकार से परामर्श करना हमेशा एक अच्छा तरीका है।

Speculative Business Income & Taxation for Intraday Trading (EFT/Stocks)

भारत में, intraday trading की आय को speculative business income के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इसका मतलब और कराधान कैसे होता है, यहां बताया गया है:

Speculative Business Income क्या है?

Speculative business income उन लाभों को कहते हैं जो ऐसे शॉर्ट-टर्म लेनदेन से मिलते हैं, जिसमें वास्तविक वस्तुओं या प्रतिभूतियों की डिलीवरी नहीं होती है।

  • Intraday Trading: एक ही दिन में शेयर खरीदना और बेचना, बिना डिलीवरी लिए, इसे speculative माना जाता है क्योंकि आप कीमतों में बदलाव से लाभ कमा रहे हैं, न कि समय के साथ निवेश रखकर।
  • High Risk: इस प्रकार की आय स्वाभाविक रूप से जोखिम भरी और अस्थिर होती है, इसलिए इसे अन्य प्रकार की आय से अलग तरीके से देखा जाता है।

Speculative Business Income का कराधान (जुलाई 2024 के बाद)

जुलाई 2024 में लागू नए कर नियमों के अनुसार, speculative business income पर कर कैसे लगाया जाता है:

  • Tax Rate: Speculative आय को आपकी कुल कर योग्य आय में जोड़ा जाता है और आपके लागू आयकर स्लैब दर के अनुसार कर लगाया जाता है।
  • Losses:
    • Carry Forward: Speculative हानि को चार साल तक आगे ले जाया जा सकता है और इसे केवल भविष्य में होने वाले speculative लाभों के खिलाफ सेट ऑफ किया जा सकता है।
    • Offsetting: Speculative आय से होने वाली हानियों का उपयोग अन्य प्रकार की व्यवसायिक आय या पूंजीगत लाभों के खिलाफ नहीं किया जा सकता।
  • Advance Tax: यदि आपकी वार्षिक कर देयता INR 10,000 से अधिक है, तो आपको अनुमानित आय पर अग्रिम कर का भुगतान करना पड़ सकता है।
  • Record-Keeping: Speculative ट्रेडिंग गतिविधियों को आपकी आयकर रिटर्न में एक अलग व्यवसाय के रूप में रिपोर्ट करना आवश्यक है। विस्तृत रिकॉर्ड रखना बहुत महत्वपूर्ण है।

Intraday Traders के लिए महत्वपूर्ण बिंदु

  • Compliance: कड़े कर नियमों के कारण, intraday traders को सभी ट्रेड्स का सही से ट्रैक और रिपोर्ट करना आवश्यक है।
  • Higher Taxes in Higher Income Brackets: चूंकि speculative आय को सामान्य स्लैब दरों पर कर लगाया जाता है, इसलिए उच्च आय वर्ग में होने वाले लोगों पर अधिक कर का बोझ पड़ सकता है।
  • Audit Requirements: यदि intraday trading आपकी आय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और आपका टर्नओवर या लाभ कुछ सीमाओं से अधिक है, तो आपके खातों का ऑडिट आवश्यक हो सकता है।

यह कर ढांचा intraday trading की speculative प्रकृति को दर्शाता है और सुनिश्चित करता है कि ऐसी आय को सही तरीके से ट्रैक और कर लगाया जाए।

Speculative Income का कराधान

Old vs New Tax Regime (जुलाई 2024 के बाद)

Speculative business income, जिसमें intraday trading से होने वाले लाभ शामिल हैं, को व्यक्तिगत आयकर स्लैब दरों के अनुसार कर लगाया जाता है। यहाँ दोनों पुराने और नए शासन के तहत यह कैसे काम करता है:

पुरानी कर व्यवस्था

पुराने कर व्यवस्था के तहत, करदाता एचआरए, 80C छूट (INR 1.5 लाख तक) और अन्य छूट का दावा कर सकते हैं। निम्नलिखित स्लैब दरें लागू होती हैं:

Speculative Income पर कराधान पुराने कर व्यवस्था में (जुलाई 2024 के बाद)

भारत में speculative income के लिए पुराने कर व्यवस्था के तहत स्लैब दरें कैसे काम करती हैं।

आय सीमा कर दर
INR 2.5 लाख तक कोई कर नहीं
INR 2.5 लाख - INR 5 लाख 5%
INR 5 लाख - INR 10 लाख 20%
INR 10 लाख से ऊपर 30%

Tax Exemptions & Example Calculations

पुराने टैक्स सिस्टम में कई छूट हैं जो टैक्सेबल आय को कम करती हैं, जैसे कि Section 80C (1.5 लाख तक), HRA, और भी। यहाँ दो उदाहरण हैं:

उदाहरण 1: टैक्स नहीं देना है

यदि आपकी कुल आय 2.4 लाख INR है छूट के बाद, तो कोई टैक्स नहीं देना है, क्योंकि आय 2.5 लाख INR की छूट के अंदर है।

उदाहरण 2: टैक्स की गणना

7 लाख INR की आय के लिए, यहाँ टैक्स कैसे कैलकुलेट किया जाता है:

पहली 2.5 लाख INR कोई टैक्स नहीं
2.5 लाख - 5 लाख INR 5% = 12,500 INR
5 लाख - 7 लाख INR 20% = 40,000 INR
कुल टैक्स देय 52,500 INR

जिन taxpayers की speculative income है, वे अपने कुल टैक्सेबल आय के आधार पर इन स्लैब में आएंगे, जिसमें वे किसी भी छूट का दावा कर सकते हैं।

नया टैक्स सिस्टम (जुलाई 2024 के बाद)

नए टैक्स सिस्टम में कम टैक्स दरें हैं लेकिन अधिकांश कटौतियाँ और छूट नहीं हैं। जुलाई 2024 के बाद की संशोधित स्लैब दरें हैं:

आयकर स्लैब (नए सिस्टम जुलाई 2024 के बाद)

यहाँ भारत में नए टैक्स सिस्टम के तहत व्यक्तियों के लिए आयकर स्लैब का अवलोकन है।

आय सीमा टैक्स दर
3 लाख INR तक कोई टैक्स नहीं
3 लाख - 6 लाख INR 5%
6 लाख - 9 लाख INR 10%
9 लाख - 12 लाख INR 15%
12 लाख - 15 लाख INR 20%
15 लाख INR से ऊपर 30%

मुख्य लाभ

स्टैंडर्ड कटौती:

  • सैलरीड व्यक्तियों और पेंशनरों के लिए: कुल आय से 50,000 INR की कटौती।
  • फैमिली पेंशनरों के लिए: 15,000 INR की कटौती।

यह कटौती सीधे टैक्सेबल आय को कम करती है, जिससे व्यक्ति कम टैक्स स्लैब में आ सकते हैं या अन्य लाभों के लिए योग्य हो सकते हैं, जैसे कि Section 87A रिबेट।

Section 87A रिबेट:

  • केवल तभी लागू है जब कटौतियों के बाद टैक्सेबल आय 7 लाख INR तक हो।
  • 25,000 INR तक की रिबेट प्रदान करती है, जिससे योग्य व्यक्तियों के लिए टैक्स देय शून्य हो जाता है।
  • यदि आय 7 लाख INR से अधिक हो, तो यह रिबेट लागू नहीं होती, चाहे यह सीमा के कितनी ही नजदीक हो।

स्टैंडर्ड कटौती और Section 87A रिबेट को शामिल करते हुए उदाहरण

उदाहरण 1: 7.5 लाख INR की आय (सैलरीड व्यक्ति)

  • ग्रॉस आय: 7.5 लाख INR
  • स्टैंडर्ड कटौती: 50,000 INR
  • कटौती के बाद टैक्सेबल आय: 7 लाख INR
  • टैक्स गणना (टैक्सेबल आय 7 लाख INR पर):
    • पहली 3 लाख INR: कोई टैक्स नहीं
    • अगली 3 लाख INR (3 लाख - 6 लाख) पर 5% = 15,000 INR
    • बची हुई 1 लाख INR (6 लाख - 7 लाख) पर 10% = 10,000 INR
    • कुल टैक्स (रिबेट से पहले) = 25,000 INR
  • Section 87A रिबेट: 25,000 INR (योग्य है क्योंकि टैक्सेबल आय 7 लाख INR है)
  • अंतिम टैक्स देय = 0 (रिबेट लागू करने के बाद)

उदाहरण 2: 10 लाख INR की आय (सैलरीड व्यक्ति)

  • ग्रॉस आय: 10 लाख INR
  • स्टैंडर्ड कटौती: 50,000 INR
  • कटौती के बाद टैक्सेबल आय: 9.5 लाख INR
  • टैक्स गणना (टैक्सेबल आय 9.5 लाख INR पर):
    • पहली 3 लाख INR: कोई टैक्स नहीं
    • अगली 3 लाख INR (3 लाख - 6 लाख) पर 5% = 15,000 INR
    • अगली 3 लाख INR (6 लाख - 9 लाख) पर 10% = 30,000 INR
    • बची हुई 0.5 लाख INR (9 लाख - 9.5 लाख) पर 15% = 7,500 INR
    • कुल टैक्स देय = 52,500 INR
  • इस मामले में, क्योंकि टैक्सेबल आय 7 लाख INR से अधिक है, taxpayer को Section 87A रिबेट के लिए योग्य नहीं है और पूरा टैक्स स्लैब के अनुसार चुकाना पड़ता है।

मुख्य बिंदुओं का सारांश

स्टैंडर्ड कटौती:

सैलरीड व्यक्तियों और पेंशनरों के लिए 50,000 INR की टैक्सेबल आय को कम करती है, जिससे टैक्स देय कम हो सकता है।

Section 87A रिबेट:

7 लाख INR से अधिक नहीं होने पर 25,000 INR तक की रिबेट देती है, जिससे टैक्स देय शून्य हो सकता है।

उच्च टैक्स स्लाब दरें:

7 लाख INR से ऊपर की आय पर, स्टैंडर्ड स्लैब लागू होती हैं, जिसमें रिबेट का लाभ नहीं मिलता।

ये तत्व नए सिस्टम में 7 लाख INR तक की टैक्सेबल आय वाले व्यक्तियों के लिए पर्याप्त टैक्स राहत प्रदान करते हैं, जिससे सरकार का लक्ष्य नए टैक्स सिस्टम को अधिक आकर्षक और प्रतिस्पर्धी बनाना है।

Speculative business income, जब आपकी अन्य आय के साथ जोड़ी जाती है, तो नए सिस्टम के तहत इन स्लैब दरों के अनुसार टैक्स लगाया जाएगा, जो कुछ आय वर्गों के व्यक्तियों के लिए फायदेमंद हो सकता है।

मुख्य अंतर और विचार

  • छूट और कटौतियाँ: पुराना सिस्टम विभिन्न कटौतियों की अनुमति देता है, जो उच्च कटौतियों वाले taxpayers को लाभ पहुंचा सकता है। नया सिस्टम कम दरें प्रदान करता है लेकिन छूट को सीमित करता है।
  • अनुपालन की सरलता: नया सिस्टम सरल है क्योंकि यह कटौतियों की विस्तृत दस्तावेज़ीकरण से बचता है, जिससे यह speculative traders के लिए आसान हो सकता है।
  • आय स्तर का प्रभाव: जिन taxpayers की आय मुख्य रूप से speculation या अन्य तात्कालिक स्रोतों से है, उन्हें विशेष स्लैब में कम टैक्स दरों के कारण नया सिस्टम लाभकारी लग सकता है।

सही सिस्टम का चयन आपकी आय संरचना और पुराने सिस्टम के तहत उपलब्ध कटौतियों के मूल्य पर निर्भर करता है।

आप यहाँ अपने टैक्स कैलकुलेशन चेक कर सकते हैं

आपकी Intraday Trading के लिए महत्वपूर्ण विचार

आपकी आय स्लैब के अनुसार टैक्स 💥 जब आप Exchange-Traded Funds (ETFs) का intraday trading करते हैं, तो टैक्स का प्रभाव आपकी लागू आय टैक्स स्लैब पर निर्भर करेगा, जो आपके द्वारा चुने गए टैक्स सिस्टम के आधार पर भिन्न होता है। यदि आप पुराने टैक्स सिस्टम का चयन करते हैं, तो आप विभिन्न कटौतियों और छूटों के लिए योग्य हो सकते हैं जो आपकी कुल टैक्सेबल आय को प्रभावित कर सकती हैं। दूसरी ओर, यदि आप नए टैक्स सिस्टम का चयन करते हैं, तो आपको कम टैक्स दरों का लाभ मिलेगा लेकिन कुछ कटौतियों का त्याग करना होगा।

अंततः, आपकी intraday trading से होने वाले लाभों पर टैक्स आपके द्वारा चुने गए सिस्टम पर निर्भर करेगा, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप अपनी आय स्तर और टैक्स रणनीतियों पर विचार करें जब आप भी ETFs / Stock Trading करें। आप टैक्स बचाने के लिये अपने परिवार में अन्य सदस्यों के डिमेट खाते भी खोलकर काम कर सकते है।

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